अयोध्या न्यूज डेस्क: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ध्वजारोहण के साथ पूरा घोषित किया जा चुका है, लेकिन इसके विपरीत सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद धन्नीपुर में प्रस्तावित नई मस्जिद का काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। 2020 में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि तो दे दी गई, पर अयोध्या से 20–25 किलोमीटर दूर होने के कारण इस निर्णय पर लगातार सवाल उठते रहे। ट्रस्ट द्वारा तैयार किया गया पहला नक़्शा भी कई आपत्तियों और आवश्यक एनओसी की कमी के चलते निरस्त हो गया।
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन ट्रस्ट के चेयरमैन ज़ुफ़र अहमद फ़ारूक़ी के अनुसार निर्माण में सबसे बड़ी बाधा फंड की भारी कमी है। कोविड, डिज़ाइन पर देशभर से उठी आपत्तियाँ और ट्रस्ट के भीतर असहमति ने पूरी प्रक्रिया को और धीमा कर दिया। वहीं कई स्थानीय संगठन, आरटीआई कार्यकर्ता और अयोध्या के नागरिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप मस्जिद की जगह अयोध्या नगर सीमा के भीतर देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इतनी दूर स्थित मस्जिद आम लोगों की पहुंच से बाहर है।
धन्नीपुर क्षेत्र में पहले से मौजूद मस्जिदों और दरगाह के कारण भी स्थानीय लोग नई मस्जिद की आवश्यकता पर निश्चयपूर्वक बोलने से बचते दिख रहे हैं। गांव के कई लोग बताते हैं कि शुरुआत में हलचल थी, लेकिन अब ट्रस्ट या अधिकारी वहां आते-जाते दिखाई नहीं देते। मस्जिद निर्माण में देरी को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हैं—जहां विपक्ष इसे भेदभावपूर्ण रवैया बता रहा है, वहीं बीजेपी का कहना है कि मस्जिद निर्माण रुकने की वजह सरकार नहीं, बल्कि सहयोग और चंदे की कमी है।
ट्रस्ट ने अब मस्जिद का नया गुंबदनुमा डिज़ाइन तैयार कराया है और दावा है कि 31 दिसंबर तक नया नक़्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण में जमा होगा। मस्जिद का नाम ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह’ रखा गया है और भविष्य में अस्पताल व कम्युनिटी किचन बनाने की योजना भी शामिल है। हालांकि, इन सभी योजनाओं का क्रियान्वयन एडीए की मंजूरी और चंदा संग्रह पर निर्भर है—यानी मस्जिद निर्माण की राह अभी भी लंबी और अनिश्चित नजर आ रही है।